आख़िर सात वर्ष के बाद निर्भया को मिला इंसाफ़

एक्शन मीडिया न्यूज़


New Delhi : आख़िरकार सात वर्ष बाद निर्भया को  मिला इंसाफ़ 20 मार्च 2020, सुबह 5.30 के तय वक्त पर चारों दोषियों को दी गई फांसी । फांसी पर लटकने से पहले का आधा घंटा काफी महत्वपूर्ण रहा। इस दौरान दोषियों ने खुद को बचाने की पूरी पूरी कोशिश की। वह रोए, गिड़ गिडाये हद ये हुई कि फांसी घर में लेट तक गए। आखिरकार वह न्याय हुआ जिसका देश काफी अरसे से इंतजार कर रहा था।


निर्भया को इंसाफ़ मिलते ही ट्विटर पर #SeemaKushwaha टॉप ट्रेंड कर रही हैं। Seema Kushwaha पिछले सात सालों से निर्भया के लिए अदालत में इंसाफ की लड़ाई लड़ रही थीं। जैसे ही चारों दोषी फांसी पर लटके तो लोग सीमा कुशवाहा को बधाई देने लगे। सीमा ने केस मुफ्त में लड़ा और निचली अदालत से लेकर ऊपरी अदालत तक निर्भया के दरिंदों को फांसी दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी। फांसी के बाद निर्भया की मां ने सबसे पहले सीमा कुशवाहा को ही धन्यवाद कहा है। निर्भया की मां ने कहा कि सीमा कुशवाहा के बिना यह संभव नहीं था।


सीमा जी ने आज अपराधियों को अंतिम सीमा दिखा दी है। गर्व है आप पर , अभिनन्दन एवं वधाई । आपकी ये लडाई देश सदैव याद रखेगा।


निर्भया की मां आशा देवी ने बेटी की तस्वीर को गले से लगाकर कहा– आज तुम्हें इंसाफ मिल गया। आज का सूरज बेटी निर्भया के नाम है, देश की बेटियों के नाम है। बेटी जिंदा रहती तो मैं डॉक्टर की मां कहलाती। आज निर्भया की मां के नाम से जानी जा रही हूं। 7 साल की लंबी लड़ाई के बाद अब बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी। महिलाएं अब सुरक्षित महसूस करेंगी। हम सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करेंगे कि वह गाइडलाइन जारी करे ताकि ऐसे मामलों में दोषी सजा से बचने के हथकंडे न आज़मा सकें।


दूसरी ओर जेल के अधिकारियों के मुताबिक चारों कातिलों को एक साथ फांसी पर लटकाया गया। इसके लिए जेल नंबर-3 की फांसी कोठी में फांसी के दो तख्तों पर चारों को लटकाने के लिए चार हैंगर बनाए गए थे। इनमें से एक का लीवर मेरठ से आए जल्लाद पवन ने खींचा और दूसरे का लीवर जेल स्टाफ ने। चारों को फांसी देने के लिए 60 हजार रुपये का जो मेहनताना तय किया गया था, वह पूराजल्लाद को ही मिलेगा।


निर्भया के चारों दुष्कर्मियों को शुक्रवार तड़के 5.30 बजे फांसी दे दी गई। शुक्रवार तड़के 3.15 पर चारों को इनके सेल से उठा लिया गया, हालांकि, चारों में से कोई भी सोया नहीं था। इसके बाद सुबह की जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद इनसे नहाने को कहा गया।इसके बाद इनके लिए चाय मंगाई गई, लेकिन किसी ने चाय नहीं पी। फिर आखिरी इच्छा पूछी गई। फिर सेल से बाहर लाने से पहले इन चारों को काला कुर्ता–पजामा पहनाया गया। चारों के हाथ पीछे की ओर बांध दिए गए। इस दौरान दो दोषी हाथ बंधवाने से इनकार कर रहे थे, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई।


इससे पहले तिहाड़ जेल में दुष्कर्मियों की बिहैवियर स्टडी कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक फांसी से एक दिन पहले चारों अजीबोगरीब हरकत कर रहे हैं। वे अपनी बैरक से बार–बार बाहर झांकते हैं। स्टाफ को बुलाते हैं। दोषी विनय शर्मा और पवन गुप्ता सबसे ज्यादा आसामान्य व्यवहार कर रहे हैं। मुकेश और अक्षय काफी हद तक सामान्य हैं।


विनय शर्मा: इसकी मानसिक स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। विनय अपने बैरक में कुछ भी अनाप–शनाप बोल रहा है। वह बार–बार यहदिखाने की भी कोशिश करता है कि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। हाालांकि लगातार आधे घंटे बात करने के बाद उसका बर्तावसामान्य हो जाता है।


विनय पहले जेल नंबर 4 में था। वहां उसे एक अन्य कैदी से प्यार हो गया था। अभी विनय जेल नंबर तीन में है। यहां जेल स्टाफ से विनयबार–बार कहता है कि उसे उसके दोस्त से मिलवाओ। कुछ दिन पहले उसे चिट्ठी भी लिखी थी। जवाब में दूसरे कैदी ने भी विनय कोचिट्‌ठी लिखी। जेल स्टाफ ने उसे चिट्ठी पढ़कर भी सुनाया। कुछ दिन पहले ही विनय ने यह कहते हुए खाना ही छोड़ दिया था कि उसेअपने दोस्त के पास जाना है। डीजी जेल ने उसे समझाया कि ऐसा मत करो।


पवन गुप्ता: स्टाफ के साथ जेल में ही गाली–गालौज करने लगता है। कभी कहता है कि बैरक से बाहर निकालो। सबसे ज्यादा सेवादारको गाली देता है। बार–बार दरवाजे को भी खटखटाता है।


मुकेश सिंह: सबसे शांत है। किसी से कुछ नहीं बोल रहा है। जेल अधिकारियों के मुताबिक मुकेश मानसिक तौर पर तैयार लग रहा हैकि उसे फांसी होना लगभग तय है। इसलिए हमेशा बस चुपचाप देखता रहता है।


अक्षय ठाकुर: इसे अभी भी लग रहा है कि फांसी टल सकती है, इसलिए बेचैन है। जब उसे पता चला कि पत्नी ने तलाक के लिए अर्जीलगाई है, तब वह खुश दिख रहा था। जेल स्टाफ और वकील से बार–बार खबर लेता रहता है।


चारों दुष्कर्मी जेल नंबर-3 में वार्ड-8 के ए–ब्लॉक में बंद हैं। यहां 10 कमरे हैं। इनमें से छह खाली हैं। ये चार अलग–अलग कमरों में रखेगए हैं। इनके कमरों में बाहर से सिर्फ हल्की धूप आती है। दिन में एक बार एक–एक घंटे के लिए बाहर निकाले जाते हैं। इस दौरान एक–दूसरे से बात करते हैं। हालांकि जहां बातचीत करते हैं, वहां इनके बीच जाली लगी हुई है। इस दौरान इनके साथ जेल कर्मी भी रहते हैं।वे कई बार कहते हैं कि उन्हें एक साथ बैठकर बात करना है।


जिस वार्ड में ये चारों दुष्कर्मी बंद हैं, वहां से फांसी घर केवल 5 मीटर की दूरी पर है। पहले फांसी घर में दो अलग–अलग चबूतरे थे। अबएक नया चबूतरा बनाया गया है, इस पर एक साथ चारों को फांसी दी जाएगी। हालांकि एक रस्सी से दो फंदे ही खिचेंगे। इसलिए दोरस्सियां लगाई गई हैं। इसे बनाने में 25 लाख रुपए खर्च हुए हैं। पवन जल्लाद भी दुष्कर्मियों को फांसी देने के लिए बिल्कुल तैयार है।वह फांसी घर में डमी फंसी का ट्रायल भी कर चुका है।


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